
चाहत है या दिल्लगी या यूँ ही मन भरमाया है;
याद करोगे तुम भी कभी किससे दिल लगाया है।

मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला;
अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।

इतना तो बता जाओ खफा होने से पहले;
वो क्या करें जो तुम से खफा हो नहीं सकते।

मैं मर भी जाऊँ, तो उसे ख़बर भी ना होने देना;
मशरूफ़ सा शख्स है, कहीं उसका वक़्त बर्बाद ना हो जाये!

पल भर में टूट जाए वो कसम नहीं,
जो आपको को भूल जाए वो हम नहीं;
आप हमें भूल जाओ इस बात में भी दम नहीं,
क्योंकि आप हमें भूल जाओ इतने बुरे हम नहीं!

दर्द गैरों को सुनाने की ज़रूरत क्या है, अपने साथ औरों को रुलाने की ज़रूरत क्या है;
वक्त यूँ ही कम है मोहब्बत के लिए, रूठकर वक्त गंवाने की ज़रूरत क्या है!

तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी;
कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।

बहुत तकलीफ़ होती हैं उस वक्त,
जब आपको समझने वाला ही आपको ग़लत समझने लग जाये!

वो ढूंढ़ रहे थे मुझे भूल जाने के तरीके;
मैने ख़फ़ा होकर उनकी मुश्किल आसान कर दी!

यूँ तेरे बाद किसी के न हुए हम;
मगर तुम पर दुनिया खतम ऐसा भी नहीं है।