
दर्द तो वही देते हैं, जिन्हें आप अपना होने का हक़ देते हैं;
वरना गैर तो हल्का सा धक्का लगने पर भी माफ़ी माँग लेते हैं!

कभी-कभी सोचता हूँ कि भूल जाऊँ उसे,
पर फिर याद आया कि उसके जैसा मिले भी तो कोई!

या तो हमें मुक्कमल चालाकियाँ सिखाई जायें,
नहीं तो मासूमों की अलग बस्तियां बसाई जायें !

शिकायत तो आज भी मुझे खुद से है,
खैर तुमसे तो इश्क़ ही रहेगा!

हमसे खेलती रही दुनिया ताश के पत्तों की तरह,
जिसने जीता उसने भी फेंका और जो हारा उसने भी फेंका!

करो फिर से कोई वादा कभी न बिछड़ने का,
तुम्हें क्या फर्क पड़ता है फिर से मुकर जाना!

अभी तो साथ चलना है, समंदर की मुसाफत में,
किनारे पर ही देखेंगे, किनारा कौन करता है।

तोड़ दे मेरे दिल को पर इसे अपने पास तो रख;
मुझे खुद से दूर ना कर मेरे मरने तक मुझे साथ तो रख!

एक दिन भी ना निभा सकेंगे मेरा किरदार;
वो लोग जो मुझे मशवरे हजार देते हैं!

दुनिया की क्या मजाल देता हमें कोई फरेब;
अपनी ही आरजू के हुए हम शिकार हैं!