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साफ़ दामन का दौर अब खत्म हुआ,
लोग अपने धब्बों पे गुरूर करने लगे!

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वजह की तलाश में, वक्त ना गवाया करो;
बेवजह, बेपरवाह, बेझिझक बस मुस्कुराया करो!

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यहाँ हर कोई रखता है खबर, गैरों के गुनाहों की;
अजीब फ़ितरत है, कोई आइना नही रखता।

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मेरे दिल से निकलने का रास्ता भी न ढूंढ सके,
और कहते थे तुम्हारी रग-रग से वाकिफ़ है हम!

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लोग आजकल के बड़े होशियार हो गये;
ये मत समझना तेरे तरफ़दार हो गये!

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चाँद को अपनी चौकट पे सजाने की तमन्ना ना कर,
ये जमाना तो आँखों से ख्वाब भी छीन लेता है!

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फासला भी जरूरी है, चिराग रौशन करने वक्त;
तजुर्बा ये हुआ हाथ जल जाने के बाद।

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कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होता;
तुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता!

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सौ बार चमन महका सौ बार बहार आई;
दुनिया की वही रौनक़ दिल की वही तंहाई!

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प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं;
जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।

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