यह न पूछ कि शिकायतें कितनी हैं तुझ से;
यह बता कि तेरा कोई और सितम बाकी तो नही।
जिसके लिए तोड़ दी मैंने सारी सरहदें,
आज उसी ने कह दिया कि जरा हद में रहा करो।
क्यों करते हो मुझसे इतनी ख़ामोश मोहब्बत,
लोग समझते है इस बदनसीब का कोई नहीं।
शौक था उन्हे महफिलों का,
फिर मेरी लाश पे इतनी वीरानी क्यों।
इस नहीं का कोई इलाज नहीं,
रोज़ कहते हैं आप आज नहीं।
कुछ उम्दा किस्म के जज़्बात हैं हमारे,
कभी दिल से समझने की तकलुफ़्फ़् तो कीजिए।
तेरी तस्वीरों में कुछ यादें मेरी भी हैं,
कुछ पलों की बातें अधूरी भी हैं।
बडी देर से देख रहा हूँ आज तस्वीर तेरी,
देख कर जाने क्यों लगा कि तुम वो ना रहे जो पहले थे।
क्या अजीब सी ज़िद है हम दोनों की,
तेरी मर्ज़ी हमसे जुदा होने की और मेरी तेरे पीछे तबाह होने की।
बस तुम्हें पाने की अब तमन्ना नहीं रही,
मोहब्बत तो आज भी तुमसे हम बेशुमार करते हैं।



