मेरे प्यार को बहकावा समझ लिया उन्होंने;
मेरे एहसास को पछतावा समझ लिया उन्होंने;
मैं रोती रही उनकी याद में पर हुआ ये कि;
मुझे ही बेवफ़ा समझ लिया उन्होंने।
रात क्या ढली सितारे चले गए;
गैरों से क्या शिकायत जब हमारे चले गए;
जीत सकते थे हम भी इश्क़ की बाज़ी;
पर उनको जिताने की धुन में हम हारे चले गए।
संग-ए-मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को,
बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया।
दिलों को खरीदने वाले लोग हज़ार मिल जायेंगे;
तुमको दगा देने वाले बार-बार मिल जायेंगे;
मिलेगा न हमें तुम जैसा कोई;
मिलने को तो लोग हमें बेशुमार मिल जायेंगे!
जता-जता के मोहब्बत, दिखा-दिखा के ख़ुलूस;
बहुत क़रीब से लूटा है मेरे दोस्तों ने मुझे।
उनके होंठों पे मेरा नाम जब आया होगा;
ख़ुद को रुसवाई से फिर कैसे बचाया होगा;
सुन के फ़साना औरों से मेरी बर्बादी का;
क्या उनको अपना सितम न याद आय होगा?
मोहब्बत से वो देखते हैं सभी को,
बस हम पर कभी ये इनायत नहीं होती;
मैं तो शीशा हूँ टूटना मेरी फ़ितरत है,
इसलिए मुझे पत्थरों से कोई शिकायत नहीं होती।
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं;
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं;
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश;
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये हैं।
जो आँसू दिल में गिरते हैं वो आँखों में नहीं रहते;
बहुत से हर्फ़ ऐसे हैं जो लफ़्ज़ों में नहीं रहते;
किताबों में लिखे जाते हैं दुनिया भर के अफ़साने;
मगर जिन में हक़ीक़त हो वो किताबों में नहीं रहते।
खुलसे इश्क़, न जोशे अमल, न दर्द ए वतन;
ये ज़िन्दगी है ख़ुदाया कि ज़िन्दगी का क़फ़न।



