
एक तो ये कातिल सर्दी, ऊपर से तेरी यादों की धुंध,
बेहाल कर रखा है, इश्क के मौसमों ने।
हसीन लगते हैं जाड़ों में सुबह के मंज़र,
सितारे धूप पहनकर निकलने लगते हैं।

बारिश के बाद रात आईने सी थी,
एक पैर पानी में पड़ा, और चाँद हिल गया।

खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का;
मगर दो बूँद बारिश ने औकात बता दी।

कभी खुशी भी मिले हरपल गम अच्छा नहीं लगता हसीन
कितना भी हो हमेशा एक जैंसा मौसम अच्छा नहीं लगता!

मजबूरियॉ ओढ के निकलता हूं घर से आजकल,
वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगनें का

सर्द मौसम का मज़ा कितना अलग सा है;
तनहा रात में इंतज़ार कितना अलग सा है;
धुंध बनी नक़ाब और छुपा लिया सितारों को;
उनकी तन्हाई का अब एहसास कितना अलग सा है।
तब्दीली जब भी आती है मौसम की अदाओं में;
किसी का यूँ बदल जाना, बहुत याद आता है।

उन्होंने देखा और हमारे आंसू गिर पड़े;
भारी बरसात में जैसे फूल बिखर पड़े;
दुःख यह नहीं कि उन्होंने हमें अलविदा कहा;
दुःख तो ये है कि उसके बाद वो खुद रो पड़े।

आज मौसम में कुछ अजीब सी बात हैं;
बेकाबू हमारे जज्बात है;
जी चाहता है तुमको चुरा ले तुम्ही से;
पर मम्मी कहती है कि चोरी बुरी बात है।