दुआ बारिश की करते हो मगर छतरी नहीं रखते;
भरोसा है नहीं तुमको खुदा पर क्या जरा सा भी।

सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहे;
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे;
शाखों से जो टूट जाये वो पत्ते नही है हम;
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।

sms

तालीमें नहीं दी जाती परिंदों को उड़ानों की;
वे खुद ही तय करते है, ऊंचाई आसमानों की;
रखते है जो हौसला आसमान को छूने का;
वो नही करते परवाह जमीन पे गिर जाने की।

sms

ये मत पूछ के एहसास की शिद्दत क्या थी;
धूप ऐसी थी के साए को भी जलते देखा।

sms

गिरा दे जितना पानी है तेरे पास ऐ बादल;
ये प्यास किसी के मिलने से बुझेगी तेरे बरसने से नही।

बादलों के दरमियान कुछ ऐसी साज़िश हुई;
मेरा मिटटी का घर था वहां ही बारिश हुई;
फ़लक को आदत थी जहाँ बिजलियाँ गिराने की;
हमको भी जिद्द थी वहां आशियाना बनाने की!

बाहर के सर्द मौसम पर तो तुम्हे ऐतराज़ हो चला है;
रगों में बहते सर्द खून का कभी तुम ज़िक्र नहीं करते।

खुद को चुनते हुए दिन सारा गुज़र जाता है;
फिर हवा शाम की चलती है बिखर जाती हूं!

तपिश और बढ़ गई इन चंद बूंदों के बाद;
काले सियाह बादल ने भी बस यूँ ही बहलाया मुझे!

आज फिर मौसम नम हुआ, मेरी आँखों की तरह!
शायद कही बादलों का भी, किसी ने दिल तोडा है!

End of content

No more pages to load

Next page