
बहुत तारीफ करता था मैं उसकी बिंदी की;
लफ्ज़ कम पड़ गए जब उसने झुमके पहने!

हुजूर लाजमी है महफिलों मे बवाल होना;
एक तो हुस्न कयामत उस पे होठो का लाल होना!

हल्की हल्की मुस्कराहटें और सनम का ख्याल;
बड़ा अजीब होता है मोहब्बत करने वालों का हाल!

चुपचाप चल रहे थे ज़िन्दगी के सफर में;
तुम पर नज़र पड़ी और गुमराह हो गए!

कैसे लफ्जों में बयां करूँ मैं खूबसूरती तुम्हारी;
सुंदरता का झरना भी तुम हो, मोहब्बत का दरिया भी तुम हो!

ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबर;
कभी हमारी आँखो से आकर पूछो कितने लाजवाब हो तुम!

झुकी झुकी नजर तेरी कमाल कर जाती है;
उठती है एक बार तो सवाल कर जाती है!

वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा;
किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा!

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा;
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा!

एक तिल का पहरा भी जरूरी है, लबो के आसपास,
मुझे डर है कहीं तेरी मुस्कुराहट को, कोई नज़र न लगा दे|