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हुजूर लाजमी है महफिलों मे बवाल होना;
एक तो हुस्न कयामत उस पे होठो का लाल होना!

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नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर,
कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता।

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मैं हूँ अगर आवारा तो वजह है हुस्न तुम्हारा,
ऐसा मैं हरगिज़ नहीं था तेरे दीदार से पहले!

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बड़ी फुर्सत से बनाया है तेरे खुदा ने तुझे;
वरना सुरत तेरी इस कदर ना चाँद से मिलती!

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नसीम-ए-सुबह बू-ए-गुल से क्या इतराती फिरती है,
जरा सूंघ-ए-शमीम-ए-जुल्फ खुश्बू इसको कहते हैं।

1. नसीम-ए-सुबह - सुबह चलने वाली ठंडी और धीमी हवा
2. शमीम - सुगन्ध, खुश्बू, महक

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इक बार दिखाकर चले जाओ झलक अपनी,
हम जल्वा-ए-पैहम के तलबगार कहाँ हैं।

1. जल्वा-ए-पैहम - लगातार दर्शन
2. तलबगार - ख्वाहिशमंद, मुश्ताक, अभिलाषी

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तेरा चेहरा, तेरी बातें, तेरा गम, तेरी यादें;
इतनी दौलत पहले कहाँ थी पास मेरे!

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मेरे क़त्ल की कोशिश तो उनकी निगाहों ने की थी;
पर अदालत ने उन्हें हथियार मानने से इनकार कर दिया!

खुशबू तेरी प्यार की मुझे महका जाती है;
तेरी हर बात मुझे बहका जाती है;
साँसे तो बहुत वक्त लेती है आने ओर जाने मै;
हर साँस से पहले तेरी याद इस दिल को धडका जाती है!

आसमान के एक आशियाना में, एक आशियाना हमारा होता;
लोग तुम्हे दूर से देखते, नज़दीक से देखने का हक़ बस हमारा होता!

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