
वफ़ा पर हमने घर लुटाना था लेकिन;
वफ़ा लौट गयी लुटाने से पहले;
चिराग तमन्ना का जला तो दिया था;
मगर बुझ गया जगमगाने से पहले।
तू देख कि तेरी जफा के बाद रिश्तों का क्या हाल हुआ;
मोहब्बत गयी लगन गयी ऐतबार गया यूं हर रिश्ता हमारा हार गया।
बिखरे हुए दिल ने भी उसके लिए फरियाद मांगी;
मेरी साँसों ने भी हर पल उसकी ख़ुशी मांगी;
जाने क्या मोहब्बत थी उस बेवफ़ा में;
कि मैंने आखिरी फरियाद में भी उनकी वफ़ा मांगी।
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है;
ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है;
देकर वो आपकी आँखों में आँसू;
अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है।

एक बार फिर से निकलेंगे तलाश-ए-इश्क़ में;
दुआ करो यारो इस बार कोई बेवफ़ा न मिले!
कुछ ,मोहब्बत का नशा था पहले हम को 'फ़राज़';
दिल जो टूटा तो नशे से मोहब्बत हो गयी।

कभी हम भी इसके क़रीब थे;
दिलो जान से बढ़ कर अज़ीज थे;
मगर आज ऐसे मिला है वो;
कभी पहले जैसे मिला ना हो।

ज़ख़्म जब मेरे सिने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।
सारी फितरत तो नकाबों में छुपा रखी थी;
सिर्फ तस्वीर उजालों में लगा रखी थी।

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है;
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये है;
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश;
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।