खुद भी वो हमसें बिछड़ कर अधूरा सा हो गया;
मुझको भी इतने लोगों में तन्हा बना दिया।

जब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्त;
हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।

पल पल उसका साथ निभाते हम;
एक इशारे पर दुनिया छोड़ जाते हम;
समुन्दर के बीच में पहुंचकर फरेब किया उसने;
वो कहता तो किनारे पर ही डूब जाते हम।

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वो छोड़ के गए हमें;
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी;
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं;
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।

प्यार में बेवाफाई मिले तो गम न करना;
अपनी आँखे किसी के लिए नम न करना;
वो चाहे लाख नफरते करें तुमसे;
पर तुम अपना प्यार कभी उसके लिए कम न करना।

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दुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझे;
पर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझे;
रुसवाईयों के खौफ से महफिल में आज;
फिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे।

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तेरी दोस्ती ने दिया सकूं इतना;
की तेरे बाद कोई अच्छा न लगे;
तुझे करनी है बेवफ़ाई तो इस अदा से कर;
कि तेरे बाद कोई भी बेवफ़ा न लगे।

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जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये;
अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये;
जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की;
वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये।

वो तो दिवानी थी मुझे तन्हां छोड़ गई;
खुद न रुकी तो अपना साया छोड़ गई;
दुख न सही गम इस बात का है;
आंखो से करके वादा होंठो से तोड़ गई।

इंसान के कंधों पर ईंसान जा रहा था;
कफ़न में लिपटा अरमान जा रहा था;
जिन्हें मिली बे-वफ़ाई महोब्बत में;
वफ़ा की तलाश में श्मशान जा रहा था।

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