
यह इक अदा रुलाएगी हमको तमाम उम्र;
जाते हुए न प्यार से यूँ मुस्कुराए।

हमारें आंसू पोछकर वो मुस्कुराते हैं;
इसी अदा से तो वो दिल को चुराते हैं;
हाथ उनका छू जाए हमारे चेहरे को;
इसी उम्मीद में तो हम खुद को रुलाते हैं!

कैसी बीती रात किसी से मत कहना;
सपनों वाली बात किसी से मत कहना;
कैसे उठे बादल और कहां जाकर टकराए;
कैसी हुई बरसात किसी से मत कहना!

लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते हैं;
कोई करता है तो इल्जाम देते हैं;
कहते हैं पत्थर दिल रोया नहीं करते;
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते हैं!

दर्द कितने हैं बता नहीं सकता;
जख्म कितने हैं दिखा नहीं सकता;
आँखों से समझ सको तो समझ लो;
आँसु गिरे हैं, कितने गिना नहीं सकता।

सिर्फ चेहरे की उदासी से भर आये तेरी आँखों में आँसू, हमदम;
मेरे दिल का क्या आलम है ये तो तू अभी जानता नहीं!
डर है मुझे तुमसे बिछड़ न जाऊं;
खोके तुम्हें मिलने की राह न पाऊं;
ऐसा न हो जब भी तेरा नाम लबों पर लाऊं;
मैं आंसू बन जाऊं!
जिन आँखों में मोहब्बत होती है;
वो आँखें एक दिन जरूर रोती हैं;
जिस तकिये पर सर रखकर ख्वाब संजोती हैं;
एक दिन उसी तकिये को रोकर भिगोती हैं।

मोहब्बत के सपने वो दिखाते बहुत हैं;
रातों में वो हमको जगाते बहुत हैं;
मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे;
इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं।
नम हैं आँखे मेरी, मगर एक भी आंसू बह ना पायेगा;
ये दिल भी कितना दगाबाज़ है, यारो;
खुद को भूल जायेगा, मगर तुझे ना भूल पायेगा।