
जब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात की;
जो आँखें भी थक गयीं तो अश्कों से बात हुई।

इस दुनिया में कोई खुशियों की चाह में रोता है, कोई गमो की पनाह में रोता है;
अजीब ज़िन्दगी का सिलसिला है, कोई भरोसे के लिए रोता है, कोई भरोसा करके रोता है।

आँसू तेरे निकले पर आँखें मेरी हों, दिल तेरे धड़के पर धड़कन मेरी हो;
हम दोनों का प्यार इतना गहरा हो, कि साँसें तेरी रुकें, पर मौत मेरी हो!

आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर;
दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता!

आसान कहाँ था उसका दिया आखिरी ख़त पढ़ना मेरे लिए;
आंसुओं के दाग बता रहे हैं लिखते वक़्त रोयी बहुत थी वो।

दर्द आँखों से निकला तो सबने बोला कायर है ये,
जब दर्द लफ़्ज़ों से निकला तो सब बोले शायर है ये!

राह तकते जब थक गई मेरी आँखें;
फिर तुझे ढूंढने मेरी आँखों से आँसू निकले!

मेरे पलकों मे भरे आँसू उन्हें पानी सा लगता है;
हमारा टूट कर चाहना उन्हे नादानी सा लगता है!

गिरते हुऐ अश्क की कीमत न पूछना;
इश्क़ के हर बूंद में लाखों सवाल होते हैं!

अब ये हसरत है कि सीने से लगाकर तुझको;
इस क़दर रोऊँ की आंसू आ जाये!