तुम मिलो ना मिलो मिलने का गम नहीं;
तुम पास से निकल जाओ तो मिलने से कम नहीं;
माना कि तुम्हे कद्र नहीं हमारी;
पर उनसे पूछों जिन्हें हम हांसिल नहीं।

आपकी जुदाई भी हमें प्यार करती है;
आपकी याद बहुत बेक़रार कराती है;
जाते-जाते कहीं भी मुलाकात हो जाए आपसे;
तलाश आपको ये नज़र बार-बार करती है।

जब भी खुदा को याद किया नज़र तु ही आया;
ये मेरे दीवाने पन के लिए तेरे दीदार की हद थी;
हम तो मर गये मगर खुली रही आँखे हमारी;
बेवफा तु नहीं आया ये तेरे इंतज़ार की हद थी।

ग़जब किया तेरे वादे पे एतबार किया;
तमाम रात किया क़यामत का इंतज़ार किया।

मेरी यह ज़िन्दगी है कि मरना पड़ा मुझे;
इक और ज़िन्दगी की तम्मना लिए हुए।

एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है;
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है;
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद;
फिर भी हर मोड़ पर उसी का इंतज़ार क्यों है!

कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है;
जुदाई के बाद भी तुमसे प्यार है;
तेरे चेहरे की उदासी बता रही है;
मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!
उसने कहा अब किसका इंतज़ार है;
मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है;
उसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है 'मसरूर';
मैंने कहा अब भी मेरा हौसला बाकी है!
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों है;
इंकार करने पर चाहत का इकरार क्यों है;
उसे पाना नहीं मेरी तकदीर में शायद;
फिर हर मोड़ पे उसी का इंतज़ार क्यों है!
होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का;
शायद नज़रों से वो बात हो जाए;
इस उम्मीद से करते हैं इंतज़ार रात का;
कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए!