ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता!
रात आ कर गुज़र भी जाती है; एक हमारी सहर नहीं होती!
जिसे न आने की क़स्में मैं दे के आया हूँ; उसी के क़दमों की आहट का इंतज़ार भी है!
मुद्दत से ख़्वाब में भी नहीं नींद का ख़याल; हैरत में हूँ ये किस का मुझे इंतज़ार है!
अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ; शाम आ गयी है लौट के घर जाएँ हम तो क्या! * मुंतज़िर: Expectant, One who waits
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन; होश उड़ जाते हैं अब भी तेरी आवाज़ के साथ!
मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करे; कब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए!
न कोई वादा न कोई यकीन न कोई उम्मीद;
मगर हमें तो तेरा इंतज़ार करना था!
एक रात वो गया था जहाँ बात रोक के;
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के!
ये कैसा नशा है मैं किस अजब ख़ुमार में हूँ;
तू आ के जा भी चुका है मैं इंतज़ार में हूँ!