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शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को;
मैं देखता रहा दरिया तेरी रवानी को!

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तो क्या सारे गिले-शिकवे अभी कर लोगे मुझ से,
कुछ अब कल के लिए रखो मुझे नींद आ रही है;
सहर होगी तो देखेंगे कि हैं क्या क्या मसाइल,
ज़रा सी देर सोने दो मुझे नींद आ रही है!
*मसाइल: समस्याएँ

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जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआ;
दुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो!

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दुनिया तो चाहती है यूँ ही फ़ासले रहें;
दुनिया के मश्वरों पे न जा उस गली में चल!

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मेरे बारे में कुछ सोचो मुझे नींद आ रही है,
मुझे जाया न होने दो मुझे नींद आ रही है;
मेरे अंदर के दुख चेहरे से ज़ाहिर हो रहे हैं,
मेरी तस्वीर मत खींचो मुझे नींद आ रही है!

*जाया: गंवाना, बेकार करना

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शब जो हम से हुआ माफ़ करो; नहीं पी थी बहक गए होंगे!

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जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं;
ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से!

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अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा;
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा;
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा!

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ग़ैरों से कहा तुमने ग़ैरों से सुना तुमने;
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता!

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छेड़ मत हर दम न आईना दिखा;
अपनी सूरत से ख़फ़ा बैठे हैं हम!

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