मेरे पास से जो, गुज़रा मेरा हाल तक ना पूछा;
मैं कैसे मान जाऊं, के वो दूर जाके रोया!

मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर;
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर!

एक तरफ़ा प्यार अब हार रहा है;
खुश वही है जो दस जगह मुँह मार रहा है!

जब कोई ख्याल इस दिल से टकराता है,
तो दिल न चाहते हुए भी खामोश हो जाता है;
कोई सब कुछ कह कर भी कुछ नही कह पाता है,
और कोई बिना कुछ कहे भी सब कुछ कह जाता है!

याद उसे करो जो इंसान अच्छा हो,
प्यार उसे करो जो इंसान सच्चा हो;
साथ उसका दो जो इंसान इरादे का पक्का हो,
और दिल उसको दो जो सूरत से नहीं दिल से अच्छा हो!

रफ़्ता रफ़्ता ये पल भी गुज़र जाएगा,
शाम होते ही परिंदा सज़र जाएगा;
जरूरी नहीं हर आशिक़ को जहर ही पिलाना,
इश्क़ में है वो ख़ुद तड़प के मर जाएगा!

ये माना के वो मेरा यार नहीं है,
ऐसा भी नहीं के प्यार नहीं है;
ऐसे कैसे उसे मैं दिल से निकालूं,
वो मालिक है इसका किरायेदार नहीं है!

दामन पे कोई छींट न ख़ंजर पे कोई दाग़,
तुम क़त्ल करो हो कि करामात करो हो..!

उसे कहो बहुत जल्द मिलने आए हमें,
अकेले रहने की आदत ही पड़ ना जाए हमें;
अभी तो आँख में जलते हैं बेशुमार चिराग़,
हवा-ए हिज्र जऱा खुल कर आज़माएँ हमें;
हर इक की बात पे कहता नहीं है दिल लब्बैक,
पसंद आती नहीं हर किसी की राय हमें;
हमारे दिल तो मिले आदतें नहीं मिलती,
उसे पसंद नही कॉफ़ी और चाय हमें!

बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं;
लगेगा लगने लगा है मगर लगेगा नहीं!
नहीं लगेगा उसे देख कर मगर ख़ुश है;
मैं ख़ुश नहीं हूँ मगर देख कर लगेगा नहीं!
हमारे दिल को अभी मुस्तक़िल पता न बना;
हमें पता है तिरा दिल उधर लगेगा नहीं!