औरों की बुराई को न देखूँ वो नज़र दे; हाँ अपनी बुराई को परखने का हुनर दे!
दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त; दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से!
धोखा था निगाहों का मगर ख़ूब था धोखा; मुझ को तेरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई!
हवा के दोश पे रखे हुए चिराग़ हैं हम; जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी!
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है; ये ज़िंदगी की है सूरत तो ज़िंदगी क्या है!
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं; जा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला!
मेरी आँखें और दीदार आप का; या क़यामत आ गई या ख़्वाब है!
देखा नहीं वो चाँद सा चेहरा कई दिन से; तारीक नज़र आती है दुनिया कई दिन से!
देने वाले की मशिय्यत पे है सब कुछ मौक़ूफ़; माँगने वाले की हाजत नहीं देखी जाती!
ये ज़िंदगी तो बहुत कम है दोस्ती के लिए; कहाँ से वक़्त निकलता है दुश्मनी के लिए!



