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ये मेरे इश्क़ की मजबूरियाँ मआज़-अल्लाह;
तुम्हारा राज़ तुम्हीं से छुपा रहा हूँ मैं!

*मआज़-अल्लाह: in the protection of God, at the mercy of God

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वो अक्स बनके मेरी चश्म-ए-तर में रहता है;
अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है!

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क्या शक्ल है वस्ल में किसी की;
तस्वीर हैं अपनी बेबसी की!

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दर्द हो दिल में तो दवा कीजिये;
और जो दिल ही न हो तो क्या कीजिये!

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क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम';
होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है!

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सब एक चिराग के परवाने होना चाहते हैं;
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं!

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इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही;
मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही!

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कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई;
तूने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया!

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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा;
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा!

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आँखें साक़ी की जब से देखी हैं;
हम से दो घूँट पी नहीं जाती!

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