हाए वो लोग गए चाँद से मिलने और फिर;
अपने ही टूटे हुए ख़्वाब उठा कर ले आए!
सिर्फ़ लफ़्ज़ों को नहीं अंदाज़ भी अच्छा रखो;
इस जगत में सिर्फ़ मीठी बोलियाँ रह जाएँगी!
आँखों से मोहब्बत के इशारे निकल आए;
बरसात के मौसम में सितारे निकल आए!
ख़ुद को बिखरते देखते हैं कुछ कर नहीं पाते हैं;
फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं!
जो दिल ने कही लब पे कहाँ आई है देखो;
अब महफ़िल याराँ में भी तन्हाई है देखो!
अनहोनी कुछ ज़रूर हुई दिल के साथ आज;
नादान था मगर ये दीवाना कभी न था!
ये क्या पड़ी है तुझे दिल जलों में बैठने की;
ये उम्र तो है मियाँ दोस्तों में बैठने की!
तेरे वादों पे कहाँ तक मेरा दिल फ़रेब खाए:
कोई ऐसा कर बहाना मेरी आस टूट जाए!
काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को:
दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है!
वफ़ा की ख़ैर मनाता हूँ बेवफ़ाई में भी:
मैं उस की क़ैद में हूँ क़ैद से रिहाई में भी!



