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ख़ुदा बचाए तेरी मस्त मस्त आँखों से:
फ़रिश्ता हो वो भी बहक जाए आदमी क्या है!

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उन्हें अपने दिल की ख़बरें मेरे दिल से मिल रही हैं:
मैं जो उन से रूठ जाऊँ तो पयाम तक न पहुँचे !

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ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा:
अब मैं दिल को क्या समझाऊँ मुझ को भी समझाता जा!

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अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनी;
दिया है जिस ने तुम जैसे को दिल उस का जिगर देखो!

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पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है;
ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है!

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कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा;
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया!

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कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है;
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है!

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रात को सोना न सोना सब बराबर हो गया;
तुम न आए ख़्वाब में आँखों में ख़्वाब आया तो क्या!

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हर वक़्त की आह-ओ-ज़ारी से दम भर तो ज़रा मिलती फ़ुर्सत;
रोना ही मुक़द्दर था मेरा तो किस लिए मैं शबनम न हुआ!

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ऐसा भी कोई ग़म है जो तुम से नहीं पाया;
ऐसा भी कोई दर्द है जो दिल में नहीं है!

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