ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया;
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया!
आँखें ख़ुदा ने बख़्शी हैं रोने के वास्ते;
दो कश्तियाँ मिली हैं डुबोने के वास्ते!
मुसाफ़िरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन;
मुसाफ़िरों की मोहब्बत का ए'तिबार न कर!
मज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्साना,
कहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते!
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही;
जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही!
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता;
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता!
सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं;
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं!
ऐ ग़म-ए-ज़िंदगी न हो नाराज़;
मुझ को आदत है मुस्कुराने की!
आप के लब पे और वफ़ा की क़सम;
क्या क़सम खाई है ख़ुदा की क़सम!
दिल से अगर कभी तेरा अरमान जाएगा;
घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा!



