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आज तक बहका नहीं बाहर से दीवाना तेरा;
हौंसले मेरी निगाहों के हैं पैमाना तेरा!

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सिले हों लब ज़बानें बंद तो बातें नहीं होतीं;
मुख़ालिफ़ रास्ते हों तो मुलाक़ातें नहीं होतीं!

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पाँव का ध्यान तो है राह का डर कोई नहीं;
मुझ को लगता है मेरा ज़ाद-ए-सफ़र कोई नहीं!

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मुस्कुराने की सज़ा कितनी कड़ी होती है;
पूछ आओ ये किसी खिलती कली से पहले!

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फिर से तेरे नुक़ूश नज़र पे अयाँ हुए;
लो फिर विसाल-ए-यार के लम्हे जवाँ हुए!

*नुक़ूश: रेखाएँ
*अयाँ: स्पष्ट, प्रत्यक्ष

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एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है;
इस समुंदर में कोई और समुंदर गुम है!

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बिना देखे तुझे अपना बना कर देख लेता हूँ;
मैं तेरे आस्ताँ पर सर झुका कर देख लेता हूँ!

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किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं;
तो यूँ नहीं कि तुझे सोचता नहीं हूँ मैं!

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किसी की जब से जफ़ाओं का सिलसिला न रहा;
दिल-ए-हज़ीं में मोहब्बत का हौसला न रहा!

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अब ज़िंदगी का कोई सहारा नहीं रहा;
सब ग़ैर हैं कोई भी हमारा नहीं रहा!

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