बहुत अमीर होती हैं ये बोतलें शराब की;
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेती हैं!
छलक जाने दो पैमाने, मैखाने भी क्या याद रखेंगे;
आया था कोई दिवाना, अपनी मोहब्बत को भुलाने!
ख़ामोश बैठी गज़ल को अल्फाज़ दे आया;
आज एक गुलाब को गुलाब दे आया!
उसकी आंखों से एक चीज़ लाजवाब पीता हूँ;
मैं हूँ तो गरीब पर सबसे महँगी शराब पीता हूँ!
एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी;
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया!
सब को फिक्र है ख़ुद को सही साबित करने की;
ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं कोई इल्ज़ाम हो जैसे!
जो सूरुर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में;
बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में!
दोस्ती कभी ख़ास लोगों से नहीं होती;
जिनसे हो जाती है वही लोग ज़िन्दगी में ख़ास बन जाते है!
अपनों से कभी दिल का रिश्ता नहीं तोड़ा करते;
मुश्किलों के वक़्त कभी साथ नहीं छोड़ा करते!
न तू अपना था, न तेरा प्यार अपना था;
बस काश ये दिल मान ले की तू एक सपना था!



