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बहाना मिल न जाए बिजलियों को टूट पड़ने का;
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते!

*आशियाँ: घर

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गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया;
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!

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कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़,
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले;
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले!

*कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना
*सर-ए-काकुल: बाल

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न कर 'सौदा' तू शिकवा हम से दिल की बे-क़रारी का;
मोहब्बत किस को देती है मियाँ आराम दुनिया में!

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कुछ मोहब्बत को न था चैन से रखना मंज़ूर;
और कुछ उन की इनायात ने जीने न दिया!

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हमारे ख़त के तो पुर्ज़े किए पढ़ा भी नहीं,
सुना जो तूने ब-दिल वो पयाम किस का था;
उठाई क्यों न क़यामत अदू के कूचे में,
लिहाज़ आप को वक़्त-ए-ख़िराम किस का था!

*पुर्ज़े: टुकड़े टुकड़े
*ब-दिल: दिल से
*पयाम: संदेश
*अदू: शत्रु
*कूचे: गलियाँ

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ये जो सिर नीचे किए बैठे हैं;
जान कितनों की लिए बैठे हैं!

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तेरा दीदार हो हसरत बहुत है;
चलो कि नींद भी आने लगी है!

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जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा;
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुम ने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा!

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अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो;
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो!