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रिश्तों से बड़ी चाहत क्या होगी;
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी;
जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा;
उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या होगी।

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लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं;
लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं;
बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं;
हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।

हम शतरंज नही खेलते, क्योंकि...
दुश्मनों की हमारे सामने बैठने की औकात नहीं,
और दोस्तों के सामने हम चाल नही चलते।

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लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता;
शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता;
किस्मत वालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में;
यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता।

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दोस्त की दोस्ती से ज़िन्दगी सुनहरी होती है;
साथ उसके हर ख्वाहिश पूरी होती है;
अगर मिले दोस्त ऐसा जो समझ जाये दिल की बात;
फिर कहाँ कोई बात अधूरी होती है।

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भूलेंगे वो भुलाना जिनका काम है;
मेरी तो दोस्तों के बिना गुज़रती नहीं शाम है;
कैसे भूलूँ मैं उनको जो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम है।

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जिंदगी सुंदर है पर मुझे जीना नहीं आता;
हर चीज में नशा है पर मुझे पीना नहीं आता;
सब मेरे बिना जी सकते हैं, र्सिफ मुझे दोस्तों के बिना जीना नहीं आता।

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रिश्तों की है यह दुनिया निराली;
सब रिश्तों से प्यारी है यह दोस्ती तुम्हारी;
मंज़ूर हैं आँसू भी आँखों में तुम्हारी;
ऐ दोस्त अगर आ जाये होंठों पे मुस्कान तुम्हारी।

गुण मिलने पर शादी होती है;
और अवगुण मिलने पर दोस्ती।

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दो अक्षर की 'मौत'
और
तीन अक्षर के 'जीवन' में,
ढाई अक्षर का 'दोस्त' -
हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं!