नहीं पता कौन सी बात आखिरी हो; ना जाने कौन सी मुलाक़ात आखिरी हो; याद करके इसलिए सोते हैं सब को; ना जाने ज़िन्दगी में कौन सी रात आखिरी हो। शुभ रात्रि! |
कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन भी खोये क्यों; जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में फिर रोये क्यों। सुप्रभात! |
किसी को चाहो तो इस अंदाज़ से चाहो, कि वो तुम्हे मिले या ना मिले, मगर उसे जब भी प्यार मिले तो तुम याद आओ। सुप्रभात! |
बन कर गुलाब मुस्कुराना ऐ ज़िंदगी; इसी तरह अपने ग़म भुलाना ऐ ज़िंदगी; जीत की ख़ुशी हुई तो क्या हुआ; हार कर भी खुशियाँ बाँटना ऐ ज़िंदगी। सुप्रभात! |
जन्नत के महलों में हो महल आपका; ख्वाबों की हसीन वादी में हो शहर आपका; सितारों के आँगन में हो घर आपका; दुआ है ऐसा खूबसूरत हो हर पल आपका। शुभ रात्रि! |
पंछियों के मधुर संगीत के साथ; प्यारे से एक एहसास के साथ; एक सच्चे विश्वास के साथ; करो अपने दिन की शुरुआत एक प्यारी सी मुस्कान के साथ। सुप्रभात! |
सो गए जो आप तो ख्वाब हमारा आएगा; प्यारी सी एक मुस्कान आपके चेहरे पे लाएगा; खोल कर सोना खिड़की और दरवाज़े; वरना आप ही बताओ हमारा ख्वाब कहाँ से आएगा। शुभ रात्रि! |
बीत गयी तारों वाली सुनहरी रात; याद आई फिर वही प्यारी सी बात; खुशियों से हो हर पल आपकी मुलाक़ात; इसलिए मुस्कुराते हुए करो अपने दिन की शुरुआत। सुप्रभात! |
खुदा हर बुरी नज़र से बचाये आपको; दुनिया की तमाम खुशियों से सजाये आपको; दुःख क्या होता है यह कभी पता न चले; खुदा ज़िंदगी में इतना हंसाये आपको। शुभ रात्रि! |
ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है यह देखने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है, जहाँ हम अपनी आंखें खोल लें, वहीँ हम इसे देख सकते हैं। सुप्रभात! |