
पठान अपने ससुराल गया तो उसकी सास ने बड़े ही अदब से पूछा,
"जमाई जी, क्या बैँगन शरीफ पका लूँ या आप आलू मोहतरम खाना पसंद करेंगे?"
पठान: मैं तो गुनहगार बंदा हूँ, इनके काबिल कहाँ.. आप कोई बेगैरत सा मुर्गा पका लें।

पठान की बेगम(रोमांटिक होते हुए): सुनिए जी मुझे एक पप्पी चाहिए।
पठान: लो घर में खाने के लाले पड़े हैं, इनको कुत्ता रखना है।

सिंधी: तुम ये ईंट लिए क्यों फिर रहे हो?
पठान: कुछ नहीं यार, मैं अपना घर बेचना चाहता हूँ और ये उसका नमूना है।

सिंधी: ओये तू वहां कोने में क्यों बैठा है?
पठान: सर्दी बहुत है न इसलिए।
सिंधी: सर्दी है तो कोने में क्या तापमान ज्यादा है?
पठान: हाँ, तुम्हे नहीं पता कोना 90 डिग्री का होता है।

पठान: मैंने आपकी दूकान से मुर्गी दाना खरीदा था।
दूकानदार: तो क्या हुआ, कुछ खराबी है क्या?
पठान: हाँ, एक महीना हो गया उसे खेत में बोये हुए, अभी तक मुर्गी नहीं उगी।

पठान: मैंने कल एक सपना देखा।
सिंधी: अच्छा क्या देखा सपने में?
पठान: यार कुछ दिखाई ही नहीं दिया।
सिंधी: क्यों?
पठान: वो मेरी आँखें बंद थी न, इसलिए।

पठान और सिंधी आपस में बातें कर रहे थे।
सिंधी: चल अपने बचपन की कोई बात बता?
पठान: यार, बचपन में... मैं बहुत ताक़तवर था।
सिंधी: अच्छा... वो कैसे?
पठान: अम्मी कहती है बचपन में जब मैं रोता था तो सारा घर सिर पर उठा लेता था।

सिंधी(पठान से): यार तुम्हारा जन्मदिन कब आता है?
पठान: नहीं यार, मेरा जन्मदिन नहीं आता।
सिंधी: ऐसा कैसे हो सकता है? जन्मदिन तो सबका आता है।
पठान: वो मैं रात को पैदा हुआ था, इसलिए मेरा जन्म दिन नहीं आता।

सिंधी(पठान से): और बताओ तुम्हारा भाई आज-कल क्या कर रहा है?
पठान: बस एक दुकान खोली थी, पर अब तो जेल में है।
सिंधी: जेल में, वो क्यों?
पठान: वो दुकान हथौड़े से खोली थी न।

पठान डॉक्टर के पास गया और बोला, "डॉक्टर साहब मुझे लगता है मुझे जूतों से एलर्जी है।"
डॉक्टर: क्यों, ऐसा क्यों लगता है तुम्हें?
पठान: क्योंकि डॉक्टर साहब जब भी मैं जूते पहने सुबह उठता हूँ तो मेरा सिर बहुत दर्द करता है।