संता अपनी सैलरी का चेक लेकर बॉस के पंहुचा और बोला, "मेरे वेतन में से दो सौ रुपये कम हैं"!
बॉस: पिछले महीने जब मैंने तुम्हें दो सौ रुपये ज्यादा का चेक दिया था, तब तो तुमने कोई शिकायत नहीं की थी!
संता: ठीक है, वह आपकी पहली गलती थी, इसलिए मैंने नज़र अंदाज़ कर दी! लेकिन अगर आप बार-बार गलती करेंगे तो मुझे आपको कहना ही पड़ेगा ना!

जीतो: बेटा क्या कर रहे हो?
पप्पू: पढ़ रहा हूं!
जीतो: शाबाश! क्या पढ़ रहे हो?
पप्पू: आपकी होने वाली बहू के मैसेज!

संता: तुमसे शादी करके मुझे एक बहुत बड़ा फायदा हुआ है!
जीतो: वो क्या?
संता: मुझे मेरे गुनाहों की 'सज़ा' जीते जी मिल रही है!

जज: तुम्हारा क्या ख्याल है, यह आदमी कैसे मरा?
पठान (गवाह): हुजुर, यह बचपन से ही भुलक्कड़ किस्म का आदमी था! मेरा ख्याल है कि यह सांस लेना भूल गया होगा!

पप्पू: मामा, आपने गमले में जो पौधा लगाया था, वो अभी तक बढ़ा ही नहीं!
जीतो: अच्छा, तुम्हें कैसे पता?
पप्पू: क्योंकि मैं उसे रोज़ उखाड़कर देखता हूं!

भिखारी: क्या बात है साहब, पहले आप सौ रुपये देते थे, बाद में पचास, फिर पच्चीस, अब सिर्फ दस देते हैं?
संता: पहले मैं कुंवारा था, तो मैं सौ देता था! फिर मेरी शादी हो गयी, तो पचास; एक बच्चा हो गया तो पच्चीस; अब दो बच्चे हैं तो दस देता हूं!
भिखरी: वाह साहब, आपके पूरे परिवार का खर्चा तो मेरे पैसों से चल रहा है!

संता: फैशन की भी हद होती है, महीने में डेढ़ दो किलो तो तुम 'लिपिस्टिक' ही खा जाती हो!
जीतो: क्यों झूठ बोलते हो, लगभग 1 किलो तो आपके पेट में ही जाती है!

थानेदार: जब तुम्हारे यहाँ चोरी हुई तो कितना बजा था?
पठान: चार लट्ठ हमपर और एक लट्ठ मेरी बेगम पर बजा था!
थानेदार: मैं पूछता हूं कि घडी में कितना बजा था?
पठान: साहब, घड़ी में तो एक ही लट्ठ बजा था, तभी घड़ी टूट गई थी!

जीतो: पप्पू, ये क्या बना रहे हो?
पप्पू: माँ, भगवान का चित्र!
जीतो: लेकिन यह तो कोई नहीं जानता कि भगवान देखने में कैसे हैं?
पप्पू: अब देखना, सबको मालुम हो जायेगा!

अध्यापक: वो तीन शब्द (वर्डस) बताओ, जो सबसे ज्यादा बोले जाते हैं?
पप्पू: मुझे नहीं पता!
अध्यापक: शाबाश बेटा, बैठ जाओ!

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