डॉक्टर: आपके लिए दो ख़बरें हैं एक अच्छी और एक बुरी।
मरीज: अच्छी वाली खबर क्या है?
डॉक्टर: आपके मरने में सिर्फ 24 घंटे बाकी हैं।
मरीज (आश्चर्य से) बोला: क्या! और बुरी खबर?
डॉक्टर: मैं आपको यह बात कल बताना भूल गया था।

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अध्यापक: बेटा, बिजली कहां से आती है?
पप्पू: मामा के यहां से।
अध्यापक: वो कैसे?
पप्पू: जब भी बिजली जाती है तो पापा बोलते हैं काट दी 'सालों' ने।

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पप्पू अपने पिता संता से: पापा मुझे मोटरसाइकिल लेकर दो।
संता: भगवान जी ने दो टांगें किस लिए दी हैं?
पप्पू: एक टांग किक मारने के लिए और दूसरी गियर डालने के लिए।

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संता: पता नही कैसा ज़माना आ गया है। ढूंडने पर भी कोई आदमी नहीं मिलता जो झूठ न बोलता हो।
बंता: लेकिन मै एक ऐसे आदमी को जानता हूं जो कभी झूठ नहीं बोलता।
संता: अच्छा उस नेक आदमी से मेरी बात कराओ।
बंता: यह सभंव नही क्योंकि वह गूंगा है।

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एक महिला रोगी: डाक्टर साहब आप दवा की शीशियों पर पर्ची चिपका दें।
डाक्टर: इस की क्या ज़रुरत है?
महिला: दर असल, इस से मुझे पता रहेगा कि कौन सी गोली मेरे पति के लिए है और कौन सी कुत्ते के लिए है। मै नही चाहती कि शीशी बदल जाए और मेरे कुत्ते को कुछ हो जाए।

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चोर (बन्दूक तनते हुए संता से): ज़िंदगी चाहते हो तो अपना पर्स मेरे हवाले कर दो।
संता: यह लो।
चोर: कितने मुर्ख हो तुम, मेरी बंदुक मे तो गोली ही नही थी। हा..हा...हा।
संता: और मेरे पर्स में भी कहां रुपये थे। हो..हो..हो..।

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एक पठान साइकिल पर बड़ी तेज़ी से जा रहा था कि एक बूढ़े से टक्‍कर हो गई और दोनों गिर पड़े।
बूढ़ा फ़ौरन उठा और पठान को एक रुपये का सिक्का देने लगा।
पठान: ये क्यों दे रहे हैं आप मुझे?
बूढ़ा: ले लो बेटा! अंधो को भीख देना बड़े पुण्य का काम होता है।

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पप्पू अपने पिता संता से: क्या बताऊ पापा, सामने वाले मकान मे एक लड़की हर रोज़ खिड़की में से रुमाल हिलाती है पर खिड़की का शीशा कभी नही खोलती।
संता: बहको मत बेटे, वह तुझे देख कर रुमाल नही हिलाती। दरअसल वह इस मकान की नौकरानी है जो रोज़ खिड़की के शीशे साफ करती है।

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अध्यापक: अगर तुम्हारा दोस्त और गर्लफ्रेंड किसी कश्ती में डूब रहे हों तो तुम किसको बचाओगे?
पप्पू: मरने दो दोनों को...
अध्यापक: क्यों?
पप्पू: साले दोनों एक साथ कश्ती में कर क्या रहे थे?

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मरीज़: डाक्टर साहब सुबह उठ कर साँस लेने में तकलीफ होती है।
डाक्टर: कितने बजे उठते हो?
मरीज़: ठीक आठ बजे।
डाक्टर: जल्दी उठा करो... रामदेव के लोग सुबह छ: बजे उठकर सारी ऑक्सीज़न खींच लेते हैं।

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