ससुर (दामाद से): अनमोल हीरे जैसी बेटी दी है तुम्हें मैंने।
दामाद: रहने दीजिए, अब ये बताइए कि कितने में वापस लेंगे?

पत्नी: अगर मैं वक्त (समय) होती तो लोग मेरी कितनी कद्र (इज्ज़त) करते।
पति: लोग तुम्हें देखकर डर जाते।
पत्नी: क्यों?
पति: लोग कहते कि `देखो, बुरा वक्त आ रहा है।`

प्यार भी अजीब चीज है:

माँ से हो तो पूजा;
पिता से हो तो इज्ज़त;
भाई से तो तो विश्वास;
बहन से हो तो फ़र्ज़;
पत्नी से हो तो सब कहते हैं, "नालायक, जोरू का गुलाम"।

नई बहु से सास ने कहा, "बेटी, आज से मुझे मां और अपने ससुर को पापा कहना"।
शाम को पति के आने पर पत्नी बोली, "मां, भैया आ गए"।

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सभी विवाहित महिलाओं को समर्पित:
मौत सिर्फ नाम से बदनाम है;
वर्ना तकलीफ़ तो जिंदगी ही ज्यादा देती है;
और;
बीवी भी सिर्फ नाम से बदनाम है;
वर्ना तकलीफ़ में सिर्फ वही साथ देती है।

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ताजमहल क्या चीज़ है;
इससे बड़ी इमारत बनवाऊंगा;
मुमताज़ तो मर के दफ़न हुई थी;
तुझे तो मैं जिंदा दफ्नाऊंगा।

पत्नी: तुम सारी दुनिया में भी ढूढोंगे तो भी मुझ जैसी दूसरी नहीं मिलेगी।
पति: तुम क्या समझती हो कि मैं दूसरी भी तुम जैसी ही तलाश करूँगा?

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पत्नी: मैं माइके जा रही हूँ, तलाक़ का नोटिस भेज दूँगी।
पति: जा जा, मीठी मीठी बातें करके खुश करने की कोशिश मत कर।

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आत्महत्याएं दो तरह की होती हैं।
पहली (तेज और आसान): गले में रस्सी डालो और पंखे से लटक जाओ।
दूसरी (धीमी और दर्दनाक): गले में वरमाला डालो और ज़िन्दगी भर लटके रहो।

पत्नी: हर रविवार (Sunday) तुम मछली पकड़ने के लिए जाते हो ना?
पति: हां-हां तो?
पत्नी: आज वो मछली आई थी और कह रही थी कि वो माँ बनने वाली है।

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