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आसमान में काली घटा छाई है;
आज फिर बीवी ने दो बातें सुनाई है;
दिल तो करता है सुधर जाऊं मगर;
बाजूवाली आज फिर भीग कर आई है।
शुभ वर्षा ऋतू।

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ज़िंदगी में एक बात हमेशा याद रखना कि तुम्हारे आँसू पोंछने वाले तो बहुत से लोग मिल जायेंगे।
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मगर तुम्हारी नाक पोंछने वाला कोई नहीं मिलेगा।
इसलिये बच के रहो क्योंकि मौसम ख़राब है और जुखाम हो सकता है।

हमें बचपन में सिखाया गया था कि ज्यादा गर्मी अच्छी नहीं।
कृपया मुझे यह बतायें की किसी ने भी यह शिक्षा 'सूर्य' को नहीं दी।

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कंबल और रज़ाई को करो माफ़;
ऐ-सी और कूलर कर लो साफ़;
पसीना छूटेगा दिन और रात;
अब बिना नहाये नहीं बनेगी बात;
अब अपने नेचर में रखो नरमी;
मेरी तरफ से आप सभी को शुभ गर्मी।

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सुनो गौर से 'पेप्सी' वालो;
बुरी नज़र न 'कोक' पे डालो;
चाहे जितना 'लिम्का' पिला लो;
सबसे आगे होंगे 'निम्बुं पानी';
हमने पिया है तुम भी पिओ।
शुभ गर्मी।

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