रास्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के इस सफर में, मंजिल तो वही है जहाँ ख्वाहिशें थम जायें। |
समझ ना आया ए ज़िन्दगी तेरा ये फ़लसफ़ा, एक तरफ़ कहते हैं सब्र का फल मीठा है और दूसरी तरफ़ कहते हैं वक्त किसी का इंतज़ार नहीं करता। |
जिंदगी तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाये, शौक जीने का है मगर इतना भी नहीं कि मर मर कर जिया जाये; जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ए जिंदगी, तो फिर क्यों न तुझे चाशनी में डुबा कर मजा ले ही लिया जाये। |
ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे को सलाम, पता है कि मंजिल मौत है फिर भी दौड रही है तू। |
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी। |
एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती, और एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है। |
ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख्वाहिशों का है, ना तो किसी को गम चाहिए और ना ही किसी को कम चाहिए। |
मुश्किल हालात से कह दो आज हमसे ना उलझे, दुआओं से हाथ भरे है मेरे तुम्हें कहाँ संभाल पाउँगा। |
लोग तो बेवजह खरीदते हैं आईने, आँख बंद करके भी अपनी हक़ीक़त जानी जा सकती है। |
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो, कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं। |