गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया; लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता! |
यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना; जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना! |
परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ, सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ; हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में, हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ! *सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी *ख़लाओं: आकाश |
शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए; हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं! *शमा: मोमबत्ती |
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था; इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था! |
उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन; देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं! * शफ़्फ़ाफ़: निर्मल |
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ; शीशे के महल बना रहा हूँ! |
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे; अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ! |
क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील'; मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया! |
आखिरी हिचकी तिरे ज़ानू पे आये; मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ! |