Qateel Shifai Hindi Shayari

  • गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया;</br>
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!Upload to Facebook
    गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक़ से दरिया;
    लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता!
    ~ Qateel Shifai
  • यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना;</br>
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना!Upload to Facebook
    यूँ लगे दोस्त तेरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना;
    जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना!
    ~ Qateel Shifai
  • परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,</br>
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;</br>
हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,</br>
हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!</br></br>
*सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी</br>
*ख़लाओं: आकाशUpload to Facebook
    परेशाँ रात सारी है सितारो तुम तो सो जाओ,
    सुकूत-ए-मर्ग तारी है सितारो तुम तो सो जाओ;
    हँसो और हँसते हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में,
    हमीं पे रात भारी है सितारो तुम तो सो जाओ!

    *सुकूत-ए-मर्ग: मौत की चुप्पी
    *ख़लाओं: आकाश
    ~ Qateel Shifai
  • शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;</br>
हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!</br></br>
*शमा: मोमबत्तीUpload to Facebook
    शमा जिस आग में जलती है नुमाइश के लिए;
    हम उसी आग में गुम-नाम से जल जाते हैं!

    *शमा: मोमबत्ती
    ~ Qateel Shifai
  • दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था;</br>
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था!Upload to Facebook
    दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था;
    इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था!
    ~ Qateel Shifai
  • उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन;</br>
देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं!</br></br>
* शफ़्फ़ाफ़: निर्मलUpload to Facebook
    उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन;
    देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं!

    * शफ़्फ़ाफ़: निर्मल
    ~ Qateel Shifai
  • हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ;<br/>
शीशे के महल बना रहा हूँ!Upload to Facebook
    हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ;
    शीशे के महल बना रहा हूँ!
    ~ Qateel Shifai
  • हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे;<br/>
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ!Upload to Facebook
    हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे;
    अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ!
    ~ Qateel Shifai
  • क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील'; <br/>
मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया!Upload to Facebook
    क्या मस्लहत-शनास था वो आदमी 'क़तील';
    मजबूरियों का जिस ने वफ़ा नाम रख दिया!
    ~ Qateel Shifai
  • आखिरी हिचकी तिरे ज़ानू पे आये;<br/>
मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ!Upload to Facebook
    आखिरी हिचकी तिरे ज़ानू पे आये;
    मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ!
    ~ Qateel Shifai