तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था, |
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया; झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया! |
वफ़ा करेंगे निभायेंगे बात मानेंगे; तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था! कलाम: बात, बातें |
दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे; जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे! *रंज: दुख |
हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल; दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है! |
तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता; वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता! |
गज़ब किया जो तेरे वादे पे एतबार किया; तमाम रात हमने क़यामत का इंतज़ार किया; न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर यह कहतें है; वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया! |
मुझ से लाग़र तेरी आँखों में खटकते तो रहे; तुझ से नाज़ुक मेरी नज़रों में समाते भी नहीं! |
अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे; क्या कहा मैंने आप क्या समझे| |
फलक देता है जिसको ऐश उसको गम भी देता है; जहाँ बजते हैं नक्कारे, वहीं मातम भी होते हैं। फलक - आकाश, आसमान, अर् |