Daagh Dehlvi Hindi Shayari

  • तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,</br<
न था रक़ीब तो आख़िर वो नाम किस का था;</br<
वो क़त्ल कर के मुझे हर किसी से पूछते हैं,</br<
ये काम किस ने किया है ये काम किस का था!Upload to Facebook
    तुम्हारे ख़त में नया एक सलाम किस का था,
    ~ Daagh Dehlvi
  • ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया;</br>
झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया!Upload to Facebook
    ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया;
    झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया!
    ~ Daagh Dehlvi
  • वफ़ा करेंगे निभायेंगे बात मानेंगे;</br>
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था!</br></br>
कलाम: बात, बातेंUpload to Facebook
    वफ़ा करेंगे निभायेंगे बात मानेंगे;
    तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था!

    कलाम: बात, बातें
    ~ Daagh Dehlvi
  • दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे;</br>
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे!</br></br>
*रंज: दुखUpload to Facebook
    दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे;
    जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे!

    *रंज: दुख
    ~ Daagh Dehlvi
  • हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल;<br/>
दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है!Upload to Facebook
    हज़ार बार जो माँगा करो तो क्या हासिल;
    दुआ वही है जो दिल से कभी निकलती है!
    ~ Daagh Dehlvi
  • तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता;<br/>
वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता!Upload to Facebook
    तुम्हारा दिल मेरे दिल के बराबर हो नहीं सकता;
    वो शीशा हो नहीं सकता ये पत्थर हो नहीं सकता!
    ~ Daagh Dehlvi
  • गज़ब किया जो तेरे वादे पे एतबार किया;<br/>
तमाम रात हमने क़यामत का इंतज़ार किया;<br/>
न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर यह कहतें है;<br/>
वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया!Upload to Facebook
    गज़ब किया जो तेरे वादे पे एतबार किया;
    तमाम रात हमने क़यामत का इंतज़ार किया;
    न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर यह कहतें है;
    वो बेक़रार रहे जिसने बेक़रार किया!
    ~ Daagh Dehlvi
  • मुझ से लाग़र तेरी आँखों में खटकते तो रहे;<br/>
तुझ से नाज़ुक मेरी नज़रों में समाते भी नहीं!Upload to Facebook
    मुझ से लाग़र तेरी आँखों में खटकते तो रहे;
    तुझ से नाज़ुक मेरी नज़रों में समाते भी नहीं!
    ~ Daagh Dehlvi
  • अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे;<br/>
क्या कहा मैंने आप क्या समझे|Upload to Facebook
    अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे;
    क्या कहा मैंने आप क्या समझे|
    ~ Daagh Dehlvi
  • फलक देता है जिसको ऐश उसको गम भी देता है;<br/>
जहाँ बजते हैं नक्कारे, वहीं मातम भी होते हैं।<br/><br/>

फलक - आकाश, आसमान, अर्Upload to Facebook
    फलक देता है जिसको ऐश उसको गम भी देता है;
    जहाँ बजते हैं नक्कारे, वहीं मातम भी होते हैं।

    फलक - आकाश, आसमान, अर्
    ~ Daagh Dehlvi