Sahir Ludhianvi Hindi Shayari

  • ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा,</br>
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा;</br>
जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है,</br>
बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा!Upload to Facebook
    ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा,
    इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा;
    जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है,
    बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;</br>
चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!Upload to Facebook
    तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूंढो;
    चाहा था तुम्हें एक यही इल्ज़ाम बहुत है!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे;</br>
हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके!Upload to Facebook
    किस दर्जा दिल-शिकन थे मोहब्बत के हादसे;
    हम ज़िंदगी में फिर कोई अरमाँ न कर सके!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के;</br>
आज तक सुलगते हैं ज़ख़्म रहगुज़ारों के!Upload to Facebook
    इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के;
    आज तक सुलगते हैं ज़ख़्म रहगुज़ारों के!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • यूँ ही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना;</br>
तेरी याद तो बन गई एक बहाना!Upload to Facebook
    यूँ ही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना;
    तेरी याद तो बन गई एक बहाना!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उठें;<br/>
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं!<br/><br/>

*बर्क: बिजलीUpload to Facebook
    हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उठें;
    वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं!

    *बर्क: बिजली
    ~ Sahir Ludhianvi
  • उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ;<br/>
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गयी आई गई!Upload to Facebook
    उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ;
    अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गयी आई गई!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत;<br/>
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम!Upload to Facebook
    हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत;
    देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को; <br/>
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया! Upload to Facebook
    हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को;
    क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया!
    ~ Sahir Ludhianvi
  • तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम; <br/>
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम! Upload to Facebook
    तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम;
    ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम!
    ~ Sahir Ludhianvi