हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है, दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है; करते हैं जिस पे तान कोई जुर्म तो नहीं, शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ उल्फ़त-ए-नाकाम ही तो है! *इकराम: इनाम *दुश्नाम: अपशब्द |
कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़, कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले; बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही, तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले! *कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना *सर-ए-काकुल: बाल |
कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन, कोई तस्वीर गाती रही रात भर; फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले, कोई किस्सा सुनाती रही रात भर! *पैरहन: वस्त्र *सबा: सुबह की हवा |
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले, चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले; क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो, कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले! *बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए *क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना *सबा: हवा, सुबह की हवा |
आप की याद आती रही रात भर; चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर! |
तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी; तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे! * तल्ख़ी-ए-मय: bitterness of the wine |
जब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी; जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गयी! |
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब; आज तुम याद बे-हिसाब आए! |
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के; वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के! * शब-ए-ग़म - ग़म/दुख की रात |
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए; इस के बा'द आए जो अज़ाब आए! *अब्र- मेघ, बादल |