Faiz Ahmad Faiz Hindi Shayari

  • हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है,<br />
दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है;<br />
करते हैं जिस पे तान कोई जुर्म तो नहीं,<br />
शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ उल्फ़त-ए-नाकाम ही तो है!<br /><br />
*इकराम: इनाम<br />
*दुश्नाम: अपशब्दUpload to Facebook
    हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है,
    दुश्नाम तो नहीं है ये इकराम ही तो है;
    करते हैं जिस पे तान कोई जुर्म तो नहीं,
    शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ उल्फ़त-ए-नाकाम ही तो है!

    *इकराम: इनाम
    *दुश्नाम: अपशब्द
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़,</br>
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले;</br>
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,</br>
तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले!</br></br>
*कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना</br>
*सर-ए-काकुल: बालUpload to Facebook
    कभी तो सुब्ह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़,
    कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-बार चले;
    बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,
    तुम्हारे नाम पे आएँगे ग़म-गुसार चले!

    *कुंज-ए-लब: मुंह, मुंह का कोना
    *सर-ए-काकुल: बाल
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,</br>
कोई तस्वीर गाती रही रात भर;</br>
फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,</br>
कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!</br></br>
*पैरहन: वस्त्र</br>
*सबा: सुबह की हवाUpload to Facebook
    कोई ख़ुशबू बदलती रही पैरहन,
    कोई तस्वीर गाती रही रात भर;
    फिर सबा साया-ए-शाख़-ए-गुल के तले,
    कोई किस्सा सुनाती रही रात भर!

    *पैरहन: वस्त्र
    *सबा: सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,</br>
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;</br>
क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,</br>
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!</br></br>
*बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए</br>
*क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना</br>
*सबा: हवा, सुबह की हवाUpload to Facebook
    गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले,
    चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले;
    क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
    कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले!

    *बहर-ए-ख़ुदा: ईश्वर के लिए
    *क़फ़स: पिंजरा, क़ैदख़ाना
    *सबा: हवा, सुबह की हवा
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • आप की याद आती रही रात भर;</br>
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर!Upload to Facebook
    आप की याद आती रही रात भर;
    चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर!
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी;</br>
तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे!</br></br>

* तल्ख़ी-ए-मय:  bitterness of the wine Upload to Facebook
    तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी;
    तल्ख़ी-ए-मय को तेज़-तर कर दे!

    * तल्ख़ी-ए-मय: bitterness of the wine
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • जब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी;</br>
जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गयी!Upload to Facebook
    जब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी;
    जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गयी!
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब;<br/>
आज तुम याद बे-हिसाब आए!Upload to Facebook
    कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब;
    आज तुम याद बे-हिसाब आए!
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के;<br/>

वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के!<br/><br/>

* शब-ए-ग़म -  ग़म/दुख की रातUpload to Facebook
    दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के;
    वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के!

    * शब-ए-ग़म - ग़म/दुख की रात
    ~ Faiz Ahmad Faiz
  • आए कुछ अब्र कुछ शराब आए;<br/>
इस के बा'द आए जो अज़ाब आए!<br/><br/>
*अब्र- मेघ, बादलUpload to Facebook
    आए कुछ अब्र कुछ शराब आए;
    इस के बा'द आए जो अज़ाब आए!

    *अब्र- मेघ, बादल
    ~ Faiz Ahmad Faiz