तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा; नहीं तो दो घूँट पी और मस्जिद को हिलता देख! |
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन; दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है! |
क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ; मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में! |
कब वो सुनता है कहानी मेरी; और फिर वो भी ज़बानी मेरी! |
आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब, दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक; ता-क़यामत शब-ए-फ़ुर्क़त में गुज़र जाएगी उम्र, सात दिन हम पे भी भारी हैं सहर होते तक! |
मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'; मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है! |
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे; तू देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे! |
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता; अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता! |
मरते हैं आरज़ू में मरने की; मौत आती है पर नहीं आती! |
मेरी क़िस्मत में ग़म अगर इतना था; दिल भी या-रब कई दिए होते! |