
नीरस पति की कलम से... "इस रोज़-रोज़ बढ़ते कोरोना के चक्कर में लगता है कि शायद इस बार फिर से गर्मियों की छुट्टियों का बेड़ा गरक हो जायेगा !! ना 'ये' मायके जाएगी और ना 'वो' मायके आएगी॥"

मैंने पत्नी को बोला: हम दोनों साथ मिलकर कोरोना से लड़ेंगे, उसे हराएंगे!
पत्नी बोली, "मुझे कोरोना के साथ नहीं जमेगा, मैं आपके साथ ही लड़ूँगी!"

दामाद: ससुर जी, आपकी बेटी ने नाक में दम कर रखा है! ससुर: मेरा सोच बेटा, मेरे पास तो उसकी भी माँ है!

संघर्ष पिता से सीखिए और संस्कार माँ से! बाकी कपडे और बर्तन धोना तो पत्नी सिखा ही देगी!

इतिहास गवाह है कि कुंभ के मेले में हमेशा माँ-बेटे या भाई-भाई ही बिछड़े हैं! कभी भी पति-पत्नी नहीं बिछड़े!

विवाहित मर्दों की सोने की चेन, अंगूठी, ब्रेसलेट तभी बाहर निकलती हैं जब, ससुराल में किसी शादी-विवाह या कोई और ख़ुशी का कार्यक्रम में जाना हो!

वैक्सीन लगाकर भाई साहब घर आये और बोले कि 'नर्स ने कितना सही इन्जेक्शन लगाया है कि बिलकुल दर्द नहीं हो रहा!' अंदर से आवाज आई, 'दूसरी औरतों की सुइयां तक नहीं चुभती पर, मेरी बातें भी चुभ जाती हैं।'

पत्नी पति से: कोई दूसरी मिल गई हो, तो साफ-साफ बोलो! पति: साफ-साफ!

मायके गयी पत्नी अगर फ़ोन पर अपने पति से लड़ती है तो क्या उसे 'Work from Home' माना जायेगा?

जिसे बिना गलती किये 'Sorry' बोलने की आदत पड़ जाये, फिर उसे कामयाब पति बनने से कोई नहीं रोक सकता!