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याद रखना केवल साल बदला है!
कोरोना अभी भी वही है!

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सरकार इसलिए परेशान नहीं है कि ये बिल किसानों को समझा नहीं पा रही!
सरकार इसलिए परेशान है कि ये किसानों के समझ में कैसे आ गया?

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नौ महीने बाद वायरस का बेटा विदेश में पैदा हुआ है!
सुना है अपने बाप से भी तेज है!

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हर घर से चौकीदार निकल रहे थे तो मस्त लग लग रहे थे!
अब किसान निकल रहे हैं तो दस्त लग रहे हैं!

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सरकार ने कानून लिखे हैं बेटा,
हम इतिहास लिखेंगे!
#farmersprotest

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किसान हैं इसलिए अभी तक टिके हुए हैं!
विधायक होते तो अब तक खरीदे जा चुके होते!

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NDTV पर भारत पूरा बंद है, R-भारत पर पूरा खुला है, आजतक पर आधा खुला है और ज़ी न्यूज़ पर भारत 25% बंद है!

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मीडिया किसानों की गलती का ऐसे इंतज़ार कर रही है जैसे
ढाबे के बाहर बैठा कुत्ता जूठी प्लेट का इंतज़ार करता है!

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दौर-ए-चुनाव में कहाँ कोई इंसान नजर आता है,
कोई हिन्दू, कोई दलित तो कोई मुसलमान नजर आता है;
बीत जाता है जब इलाकों में चुनाव का दौर,
तब हर शख्स रोटी के लिये परेशान नजर आता है!

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किसान आंदोलन के खिलाफ सिर्फ दो किस्म के लोग हैं!
एक तो जिनके पास ज़मीन नहीं है!
दूसरे वो जिनके पास ज़मीर नहीं है!

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