लोग बड़ी गाड़ियों पर लिखते हैं - "माँ का आशीर्वाद",
पर अखिलेश साइकिल पर लिखेगा - "बाप से छीनी"।
हज और गंगा स्नान तो गरीबों का नज़रिया है।
वरना अमीरों के पाप तो High Court और Supreme Court धोता है।
इतिहास गवाह है दुनिया के हर बच्चे ने अपने बाप से साइकिल के लिए ज़िद्द की है और बाप को देनी पड़ी है।
इसे राजनितिक पोस्ट न समझे।
चुनाव आयोग मुलायम सिंह से,
"माना कि साइकिल आपकी थी लेकिन ताला तो लगाना चाहिये था, बेटे को चलाने दी थी लेकर भाग गया।"
बेटे का दिमाग ज्यादा चले तो मुसीबत
(अखिलेश)
कम चले, तो मुसीबत
(राहुल)
60 साल लूटा कांग्रेस ने पैसे बीजेपी वालों के पास मिल रहे हैं।
दया कुछ तो गड़बड़ है।
ऐसी विदाई कभी नही देखी
दूल्हा-दुल्हन मंडप में रो रहे हैं,
जनता कतार में रो रही है,
दुकानदार दुकान में रो रहे हैं,
उपभोक्ता बाजार में रो रहे हैं,
बैंक वाले बैंक में रो रहे हैं,
काले धन वाले छुप कर रो रहे हैं,
पीएम मंच पर रो रहे हैं,
विपक्ष सड़क पर रो रहा है,
पूरा देश भावुक हो गया है।
क्या शानदार विदाई चल रही है 500 और 1000 के नोटों की।
काले धन का तो पता नहीं, पर लोग लाइन में खड़े-खड़े ज़रूर काले हो जाएंगे।
गोल्ड तक तो ठीक है अगर किसी ने 'गोल्ड फ्लैक' पर लिमिट लगायी तो तलवारें चल जाएँगी तलवारें।
"समस्त होस्टलर और इंजीनियर संघ"!
पूजा करते वक़्त चिल्ला-चिल्ला कर भगवान को क्यों बोला था?
तन मन धन सब कुछ है तेरा, तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा,
फिर क्या? सुन ली सबकी भगवान ने।



