चेन्नई स्टूडेंट: पेपर बहुत आसान था।
बैंगलोर स्टूडेंट: पेपर ठीक था।
दिल्ली स्टूडेंट: पेपर मुश्किल था।
पंजाबी स्टूडेन्ट: ओये पेपर दी छड्ड, मैडम पूरी अग्ग सी!
उसको पाने के लिए मैं भगवान से भी लड़ जाता,
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..
पर फिर मैंने सोचा कि "इम्तिहान का समय है, भगवान से पंगा ठीक नहीं!"
टीचर: रजनीकांत की फ़िल्म 'रोबोट' से क्या सीखने को मिलता है?
छात्र: यही कि लड़की सिर्फ इंसान का ही नहीं, मशीन का भी दिमाग खराब कर सकती है!
अगर इम्तिहान में पेपर कठिन हो तो आँखें बंद करो;
गहराई से सांस लो और ज़ोर से कहो: "ये विषय बहुत मज़ेदार है इसे अगले साल फिर से पढ़ेंगे।"
अर्ज़ है, "स्वर्ग सबको चाहिए पर मरना कोई नहीं चाहता;
वाह! वाह
"स्वर्ग सबको चाहिए पर मरना कोई नहीं चाहता;
टॉप (TOP) सबको करना है पर पढ़ना कोई नहीं चाहता।
पढ़ो यारों।
पढ़ाई सिर्फ दो वजह से होती है?
एक शौक से;
और
दूसरा खौफ़ से।
फालतू के शौक हम रखते नहीं;
और
खौफ़ तो हमें किसी के बाप का भी नहीं।
कोई चीज़ बे-वाफाई से बढ़कर क्या होगी;
गम-ए तन्हाई जुदाई से बढ़कर क्या होगी;
किसी को देनी हो जवानी में सजा;
तो वो सजा 'पढ़ाई' से बढ़कर क्या होगी।
मौत और मोहब्बत तो बस नाम से बदनाम है;
वर्ना;
तकलीफ़ तो सबसे ज्यादा पढ़ाई ही देती है।
33 मार्क्स की कीमत तुम क्या जानो लेक्चरर बाबू;
बोर्ड का आशीर्वाद होता है 33 मार्क्स;
विद्यार्थियों के सिर का ताज होता है 33 मार्क्स;
फेलियर का ख्वाब होता है 33 मार्क्स।
जब question पेपर हो आउट ऑफ़ कंट्रोल;
आंसर शीट को करके फोल्ड;
एयरोप्लेन बना के बोल;
भैया "आल इज़ फेल।"