अजब तेरी है ऐ महबूब सूरत; नज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत! |
ऐ सनम जिसने तुझे चाँद सी सूरत दी है; उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है! |
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए; दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है! |
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का; जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला! |