Abul Mujahid Zahid Hindi Shayari

  • एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं;</br>
वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने!Upload to Facebook
    एक हो जाएँ तो बन सकते हैं ख़ुर्शीद-ए-मुबीं;
    वर्ना इन बिखरे हुए तारों से क्या काम बने!
    ~ Abul Mujahid Zahid