Ejaz Asif Hindi Shayari

  • रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया;<br/>
आँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया!
* तीरगी- अँधेराUpload to Facebook
    रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया;
    आँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया! * तीरगी- अँधेरा
    ~ Ejaz Asif