Gawwas Qureshi Hindi Shayari

  • इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;<br/>मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!Upload to Facebook
    इंतिज़ार-ए-दीद में यूँ आँख पथराई कि बस;
    मरते मरते वो हुई आलम में रुस्वाई कि बस!
    ~ Gawwas Qureshi