Ghulam Bhik Nairang Hindi Shayari

  • दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा;</br>
आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी!</br></br>

*आह-ओ-ज़ारी: विलाप/शोकUpload to Facebook
    दर्द उल्फ़त का न हो तो ज़िंदगी का क्या मज़ा;
    आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी!

    *आह-ओ-ज़ारी: विलाप/शोक
    ~ Ghulam Bhik Nairang