ना कोई उस से भाग सके और ना कोई उस को पाए; आप ही घाव लगाए समय और आप ही भरने आए! |
ना कोई उस से भाग सके और ना कोई उस को पाए; आप ही घाव लगाए समय और आप ही भरने आए! |
बुर्क़ा-पोश पठानी जिस की लाज में सौ सौ रूप; खुल के न देखी फिर भी देखी हम ने छाँव में धूप! |
साजन हमसे मिले भी लेकिन ऐसे मिले कि हाय; जैसे सूखे खेत से बादल बिन बरसे उड़ जाये! |